Thursday, May 19, 2016

लाभदायक एक्यूप्रेशर

लाभदायक एक्यूप्रेशर


जब कोई व्यक्ति बीमार होता है तो वह रोग के उपचार हेतु अपनी आवश्यकता आस्था के अनुरुप, एलोपैथी, होमियोपैथी, आयुर्वेद अथवा अन्य किसी चिकित्सा  प्रणाली की शरण में जाता है | यहाँ यह स्पष्ट करना बहुत जरुरी है की किसी एक चिकित्सा प्रणाली को उपयोगी व् लाभप्रद बताने लिए अन्य दूसरी प्रणाली को कम  आँकने  से कोई लाभ नहीं है, अपितु देखा गया है की गम्भीर परिस्थति में एक साथ काम करना ज़्यादा श्रेष्ठ रहा | रोगी को रोग की तीव्रता एवम प्रकृति के अनुरूप चिकित्सा पद्धति का चयन करना चाहिए |

आजकल की जीवन पद्धति  कुछ इस तरह हो गई है  की उच्च जीवन स्तर की चाह में पति पत्नी दोनों काम करते है , एकल  परिवारों का चलन बढ़ता जा रहा है | जहां कार्य अधिक व् करने वाले कम हो वहा हर काम समय सारणी के साथ भागते हुए पूरा करना पढता है ऐसे में यदि परिवार का कोई सदस्य बीमार पढ़ जाए तो सबसे पहला काम उसे जल्द से जल्द ठीक करके फिर से काम पर लग जाना होता है, ऐसा ही डॉक्टर से अनुरोध भी किया  जाता है , अतः डॉक्टर भी अपने तरकस का सबसे अचूक बाण निकालता है | कई बार ऐसी तेज़ दवा खा कर वो तकलीफ तो ठीक हो जाती है पर उसका दुष्प्रभाव किसी और तरह निकलता है | अक्सर हम लोग ही छोटी मोटी बीमारियों में खुद ही डॉ. बनकर दर्द निवारक गोलिया ले लेते है और काम में जुट जाते है यह सोचकर की अब दर्द में राहत है, जिस तरह थककर निढाल हो कर आगे चलने से मना करने वाले घोड़े को चाबुक मार मार के दौड़ाया जाता है उसी प्रकार दर्द नाशक गोलिया चाबुक  का काम करती है और हमारे बीमार शरीर को दर्द की अनुभूति नहीं होने देती | देखने में आता है की इस प्रकार दवाई गई छोटी छोटी बीमारिया जिन्हे शुरुआत में ही जड़ से समाप्त नहीं किया जाता आगे चलकर प्रचण्ड रूप धारण केर लेती है


 प्राचीन काल में हमारे पूर्वज प्राकृतिक उपचार द्वारा स्वस्थ रहने की कला जानते थे एक्यूप्रेशर उन्ही प्राचीनतम प्रभावी चिकित्सा पद्धतियों में एक है, भारतीय स्त्रियों में पहने जाने वाले भारी गहने, कानो झुमके, गले के हार, चूड़िया, अंगूठी, पायल, कमर बंध बिछिया इत्यादि प्राचीन एक्यूप्रेशर  का ही एक रूप था जिसे बहुत सोच समझ के बनाया था एक्यूप्रेशर को लागू करते समय सामान्यतः यह सिद्धांत मान जाता है की हमारे शरीर में रोगों से लड़ने के लिए, उनके निवारण  के लिए जीवनी शक्ति स्वतः  ही विधमान है, बस आवश्यकता उसकी  समुचित ऊर्जा एकत्रित करके सक्रिय कर उचित दिशा देने की है एक्यूप्रेशर में रिफ्लेक्सोलॉजी के नियमों का पालन करते हुए प्रभावित अंग के प्रतीक बिंदु पर  उचित दवाब  डालकर उस अंग को रोगमुक्त करने का प्रयास किया जाता है  शरीर के महत्व्पूर्ण अंगो के प्रति बिंदु हथेली और तलवो पर पाये जाते है |रोगी जिस बीमारी से पीड़ित होता है उससे सम्बंधित अंग के बिंदु पर  दबाने से दर्द होता है  

एक्यूप्रेशर से चमत्कारिक पारिणाम पाये गए  है, इसकी सामान्यतः तीन सिटिंग में ही रोगी को लगभग 30% से50% आराम मिल जाता है, पहली सिटिंग में ही रोगी को दर्द से राहत मिलने लगती है , चूँकि इस चिकित्सा में कोई दवा या अन्य किसी चीज़ का उपयोग  नहीं होता तो इसका कोई साइड इफ़ेक्ट भी नहीं होता , दूसरा बड़ा लाभ यह है की कोई दवा देने के कारण इसका अन्य किसी चिकित्सा से विरोध भी नहीं है अतः थोड़ी रiहत मिलने तक रोगी एक्यूप्रेशर के साथ अपनी दूसरी दवाये खा सकता है और जैसे जैसे रोग ठीक होता जाए डॉ. से परामर्श करके अपनी दवाएं न्यून से न्यूनतम कर सकता है!





 इसके चमत्कारिक परिणामों को देखते हुए लोग एक्यूप्रेशर की ओर आकर्षित हो रहे है इसका एक बड़ा कारण यह है की इसमें कोई औषधि का प्रयोग  होता है कोई शल्य चिकित्सा की जाती है , मात्र २०  से ३०  मिनट में निर्धारित बिंदुओं पर दवाब देकर उपचार किया जाता है
एक्यूप्रेशर केवल रोगनाशक ही नहीं अपितु रोग निवारक और निदानात्मक भी है , यह रोग को जड़ से खत्म कर देता है, यह एक ऐसी विधि है जिसका कोई साइड इफ़ेक्ट  या प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता |
बबिता सक्सेना, एक्यूप्रेशर चिकित्सक   

( 9971397333 , 7503401207 )